Ad Code

पुर्तगालियों का अंग्रेजों के प्रति शत्रुता : पुर्तगालियों का पतन

 पुर्तगालियों का अंग्रेजों के प्रति शत्रुता(Portuguese hostility towards the British) :-

                                            1608 ईस्वी में यात्रा करके कैप्टन विलियम हॉकिंस सूरत में आया और विलियम हॉकिंस ने इंग्लैंड के सम्राट जेम्स प्रथम का अकबर के नाम एक पत्र लेकर आया था जो भारत में व्यापार से संबंधित था। उस समय पुर्तगाली ने विलियम हॉकिंस को मुगल दरबार में पहुंचने से रोकने का बहुत प्रयास किया लेकिन असफल रहा। जहांगीर ने हॉकिंग्स द्वारा लाए गए पुरस्कार जिनकी कीमत 25000 सोने के सिक्के के समान था उसे स्वीकार कर लिया एवं उसे स्वागत किया ।

                         (नोट- कैप्टन हॉकिंस ने पत्र अकबर के नाम लाया था लेकिन जब वह भारत पहुंचा तब तक अकबर की मृत्यु हो चुकी थी इसलिए यह पत्र जहांगीर तक पहुंचाया गया ) (purtgali) 

 विलियम हॉकिंस तुर्की भाषा अच्छे से जानता था उसी भाषा में उसने जहांगीर से प्रत्यक्ष रूप से बात की जहांगीर हॉकिंस से खुश होकर उसे 30,000 के वेतन पर 400 मनसबदार नियुक्त किया 1608 में जब कैप्टन विलियम हॉकिंस ने सूरत में कारखाना स्थापित करने के लिए जहांगीर से अनुमति मांगी तब पुर्तगाली अधिकारियों ने उनकी मंशा को पूरी नहीं होने दिया तब पुर्तगाली को रोकने में असमर्थ कैप्टन विलियम हॉकिंस ने भारत छोड़कर इंग्लैंड वापस चला गया।

        एंग्लो पुर्तगाली झगड़ा या हाथापाही :-

  अंग्रेज ने अपना प्रतिशोध 1612 में पुर्तगाली के विरुद्ध लिया जब अंग्रेज के जहाज ड्रैगन ने कैप्टन बेस्ट के नेतृत्व में पुर्तगाली जहाज के बड़ा बेरा को बुरी तरह से पराजित कर दिया यह लड़ाई सूरत के निकट स्वाली में हुआ था। और अंग्रेज ने 1912 में सूरत में अपना पहला कारखाना स्थापित किया इसी कारण धीरे-धीरे पुर्तगाली का पतन होने लगा।

            पुर्तगालियों का पतन:- 

• 1580 में पुर्तगाल (purtgali) स्पेन के राजा के साथ जुड़ गया और स्पेन के पतन के साथ-साथ पुर्तगाल का भी भारत से पतन हो गया।

• 1588 के नौसेना युद्ध में अंग्रेज ने स्पेन को करारी शिकस्त दी जिसके बाद स्पेन की नौसैनिक शक्ति क्षीण हो गई।

• समाज में कुलीन वर्ग का प्रभुत्व था और व्यापारियों का इतना सामाजिक प्रभाव नहीं था कि वे राज्य को अपने हितों की पूर्ति के लिए प्रभावित कर सकें ।

 • पुर्तगाल में सम्राट निरंकुश था । 

• धर्म के मामले में पुर्तगाली असहिष्णु एवं धर्मांध थे और कई स्थानों पर उन्होंने लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन किया ।

 • फितोरिया मात्र एक व्यापारिक अड्डा था जिसे क्षेत्रीय राज्य के रूप में बदलने की राजनीतिक इच्छा शक्ति नहीं दिखाई गई । 

• पुर्तगालियों ने स्वयं को एकाधिकार व्यापार के मुनाफों तक ही सीमित रखा । 

• उनका नियंत्रण कुछ क्षेत्रों - उत्तरी अफ्रीका , दीव , दमन , गोवा , तिमोर और माकाओ - तक ही सीमित रह गया ।

 • भारतीय शासकों एवं जनता के प्रति धार्मिक असहिष्णुता ।

 • उन्होंने डकैती और लूटमार को अपनी नीति का भाग बनाया ।

पुर्तगालियों का अंग्रेजों के प्रति शत्रुता

 • उन्हें डचों और अन्य यूरोपीय व्यापारिक शक्तियों से संघर्ष करना पड़ा ।

 • वास्तव में , पुर्तगाली आर्थिक और राजनैतिक रूप से दूसरी पश्चिमी शक्तियों से प्रतिस्पर्धा करने में अक्षम थे ।

 • ब्राजील की खोज के बाद उनका भारत की ओर ध्यान कम हो गया ।

 • पुर्तगाल में उनके उद्योग - धंधे अधिक विकसित नहीं हो पाए और वे वितरक के रूप में व्यापार करते रहे ।

 • पुर्तगाली (purtgali)  व्यापारियों पर पुर्तगाली राजा का अत्यधिक नियंत्रण था ।

भारत में यूरोपीयो का आगमन : पुर्तगाली/ विस्तार एवं रणनीति/धार्मिक नीति के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ click करे :- https://www.missionupsce.in/2021/05/Europeans-purtgali-Portuguese.html

follow me :-

https://www.facebook.com/Mission-Upsc-102484551894208/

https://t.me/upscmagazinee

Join telegram for more UPSC magazines and daily current affairs (ONLY HINDI MEDIUM)

Join telegram channel for yojana kurukshetra magazines (योजना कुरूक्षेत्र)

https://t.me/Yojanakurukshetramag


पुर्तगालियों का अंग्रेजों के प्रति शत्रुता,Portuguese,purtgali, पुर्तगालियों का पतन, एंग्लो पुर्तगाली झगड़ा,

पुर्तगालियों का अंग्रेजों के प्रति शत्रुता,Portuguese,purtgali, पुर्तगालियों का पतन, एंग्लो पुर्तगाली झगड़ा,
Post Navi

Post a Comment

0 Comments