सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण : सुपर मून, ब्लू मून, ब्लड मून
सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण :-
पृथ्वी और चंद्रमा दोनों को प्रकाश सूर्य से मिलता है। पृथ्वी से चंद्रमा का एक भाग ही दिखाई देता है क्योंकि पृथ्वी और चंद्रमा का घूर्णन गति समान है। पृथ्वी पर चंद्रमा का संपूर्ण प्रकाशित भाग महीने में केवल एक बार अर्थात पूर्णिमा को दिखाई देता है इसी प्रकार महीने में एक बार चंद्रमा का संपूर्ण अप्रकाशित भाग अर्थात अमावस्या को दिखाई देता है। जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सरल रेखा पर होती है, तो इस स्थिति को युति - वियुति या सिजिगी कहते हैं। युति का अर्थ सूर्यग्रहण और वियुति का अर्थ चंद्रग्रहण होता है।
जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाता है तो सूर्य के प्रकाश चंद्रमा पर नहीं पहुंच पाती है तथा पृथ्वी का छाया के कारण चंद्रमा पर अंधेरा छा जाता है जिसे हम चंद्रग्रहण कहते हैं।
लेकिन जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है तो सूर्य के प्रकाश पृथ्वी पर ना पड़कर चंद्रमा पर पड़ती है तो सूर्यग्रहण की स्थिति बनती है। अमावस्या को सूर्य ग्रहण जबकि पूर्णिमा को चंद्रग्रहण लगता है। इससे हमें यह बात अवश्य ध्यान में आता होगा कि जब सूर्यग्रहण हमेशा अमावस्या को लगता है और चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा को लगता है, तो ऐसे में प्रत्येक पूर्णिमा और अमावस्या को चंद्रग्रहण एवं सूर्य ग्रहण लगना चाहिए परंतु ऐसा नहीं होता क्योंकि चंद्रमा अपने अक्ष पर 5 डिग्री झुका हुआ है। जब चंद्रमा और पृथ्वी एक ही परिक्रमण पथ पर पहुंचता है तो उस समय चंद्रमा अपने अक्षीय झुकाव के कारण आगे निकल जाता है। इसी इस कारण प्रत्येक पूर्णिमा और अमावस्या को चंद्रग्रहण एवं सूर्यग्रहण नहीं लगता।
1 वर्ष में अधिकतम 7 बार सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण की स्थिति उत्पन्न होती है। पूर्ण सूर्यग्रहण देखे जाते हैं परंतु पूर्ण चंद्रग्रहण प्रायः नहीं देखे जाते क्योंकि सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के आकार में पर्याप्त अंतर होता है। सूर्य ग्रहण के समय सूर्य को नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता क्योंकि सूर्यग्रहण के समय अत्यधिक मात्रा में पराबैंगनी किरणों उत्सर्जित होती है। पूर्ण सूर्यग्रहण के समय सूर्य की परिधि क्षेत्र में हरिक वलय (Diamond Ring) की स्थिति बनती है।
सुपर मून -
चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की औसतन दूरी 384000 किलोमीटर है। जब चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी सबसे कम हो जाती है तब सुपरमून की स्थिति बनती है । ईस परिघटना में चंद्रमा 14% आकार में बड़ा और 30% ज्यादा चमकीला दिखाई पड़ती है। सुपरमून की परिघटना 27 दिसंबर 2015 को देखी गई थी। जिसमे सुपर मून तथा चंद्रग्रहण की परिघटना दोनों एक साथ घटित हुई थी। अब ऐसा परिघटना पुनः 25 नवंबर 2034 को देखा जाएगा। सुपरमून को हम पेरिजी फुल मून भी कहते हैं।
ब्लू मून -
जब कोई एक माह में दो पूर्णिमा होती है तो दूसरी पूर्णिमा की चांद को ब्लूमून कहते हैं। ऐसा तब होता है जब दो पूर्णिमा के बीच 31 दिन से कम का अंतराल का होता है ।ब्लू मून परिघटना हर दो-तीन वर्षों में एक बार होता रहता है ।
ब्लड मून :-
लगातार चार पूर्ण चंद्रग्रहण को ब्लड मून कहा जाता है चार पूर्ण चंद्रग्रहण को टेट्राड भी कहते हैं। इसे 14 -15 अप्रैल 2014 को देखा गया था।
सुपर ब्लू ब्लड मून :-
31 जनवरी 2018 को एशिया में सुपरमून, ब्लू मून, ब्लड मून तीनों परिघटना एक साथ देखी गई थी जिसे हम सुपर ब्लू ब्लड मून कहते हैं।
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