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डच(dutch) : डचों का व्यापार/पत्तन/अंग्रेज संघर्ष

                       डच -1602

1. स्पेन का पत्तन होने के पश्चात पुर्तगाली शक्ति बिखर गई और 17 वि सदी के मध्य तक डचों  ने पुर्तगाली का स्थान ले लिया ।

2. कोर्नेलिस डी हाउटमीन पहला डच व्यक्ति था जिसने 1596 में सुमात्रा और बंताम पहुंचा।

3. डचों ने 17 वी सदी में फ्लूटशिप जहाजों का निर्माण किया  जो पहले के पुर्तगाली जहाजों की तुलना में काफी हल्का था, तथा उसे चलाने के लिए कम लोगों की जरूरत पड़ती थी। जिससे आने जाने की खर्च में कमी आई।

4.  ब्रिटिश संसद द्वारा 1602 में डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की गई जिसकी आरंभिक पूजी 6500000 गिल्डर था। (गिल्डर - डच का मुद्रा )

5. डचों ने सर्वप्रथम 1605 में मुस्लिमपट्टनम में अपनी फैक्ट्रियां स्थापित की उसके बाद 1616 में पुलीकट(सूरत), 1641 में बिलिपट्टनम, 1645 में करीकल, 1653 में चिनसुरा, 1663 में कोचीन में इसके अतिरिक्त पटना, बालासोर इत्यादि में अपनी फैक्ट्री स्थापित की।

6. इन सबके अलावा भारत के बाहर डचों ने 1605 में अंबोएना, 1619 में मसाला दीप, 1641 में मलक्का और 1658 में श्रीलंका को जीता ।

                 डचों(dutch) का व्यापार :- 

1. आरंभ में बच्चों का ध्यान काली मिर्च के व्यापार करने पर था। मसालों का व्यापार डचों ने इंडोनेशिया से की और भारत में डचों ने कोरोमंडल क्षेत्र से वस्त्र का व्यापार सर्वाधिक किया।

2. डचों ने शोरे का व्यापार को प्रोत्साहित किया क्योंकि शोरे का उपयोग बारूद बनाने में किया जाता था ।

3. गोलकुंडा के सुल्तान ने डचों(dutch) को कम शुल्क में व्यापार करने की अनुमति दे दी। गोलकुंडा गांव के निवासी जब अपना कर चुका नहीं रहे थे तब डचों ने उसका कर चुका कर उसे सेवा प्राप्त की।

डचों का भारत आगमन

         डच (dutch)अंग्रेज संघर्ष :-

17वीं सदी के दौरान डच पुर्तगालियों के प्रभाव को समाप्त कर पूर्वी तट पर मसाले का व्यापार सुरक्षित कर लिया डचों ने 1641 में मलक्का पर कब्जा किया, 1659 में कोचीन तथा 1655 में कोलंबो पर अपना कब्जा जमा लिया इस प्रकार पुर्तगालीयों की शक्ति पूर्ण रूप से समाप्त हो गया। लेकिन अंग्रेजों के रूप में डचों का एक प्रतिद्वंदी बाकी था, तब 17वीं सदी के मध्य में भारत तथा हिंद महासागरीय क्षेत्र में प्रभुता की स्थापना के लिए डच और अंग्रेज में संघर्ष आरंभ हुआ। 17वीं सदी में यूरोप में अंग्रेज और डचों द्वारा आंग्ल-डच युद्ध लड़े गए जिसमें अंग्रेजों को डचों पर विजय हुआ। 1759 में भारत में वेदरा युद्ध में डच अंग्रेज द्वारा पराजित हो गया इस प्रकार डच पूर्वी एशिया के द्वीप तक ही सिमट कर रह गई।

      डचों(dutch) का पत्तन :- 

1.  डच(dutch) कंपनी एक सरकारी कंपनी थी इसलिए वह अंग्रेज को सामना नहीं कर पाई ।

2. डच लंबे समय तक स्पेन के अधीन था, इसलिए उनके पास साधनों की कमी थी वहीं अंग्रेजों के पास उचित साधन मौजूद था।

 3.डचों का दक्षिण पूर्व एशिया के साथ व्यापार पर अधिक ध्यान था इसलिए वह भारत में अपना ध्यान अधिक नहीं दे पाया।

पुर्तगाली/ विस्तार एवं रणनीति/धार्मिक नीति के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ click करे :- https://www.missionupsce.in/2021/05/Europeans-purtgali-Portuguese.html

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