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    भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 

पृष्ठभूमि :- 

1857 की क्रांति के बाद भारत में राष्ट्रीयता की भावना का उदय तो हुआ लेकिन वह तब तक एक आन्दोलन का रूप नहीं ले सकती थी  जबतक इसका नेतृत्व और संचालन करने के लिए एक  मजबूत संस्था भारतीयों के बीच स्थापित न ही जाए। सौभाग्य से भारतीयों को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ( Indian National Congress ) के रूप में ऐसी ही संस्था मिली। ऐसे तो पहले भी छोटी संस्थाओं का प्रादुर्भाव हो चुका था।  जैसे 1851 ई में ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन तथा 1852 में  मद्रास नेटिव एसोसिएशन  की स्थापना की गई थी। इन संस्थाओं का निर्माण होने से राजनीतिक जीवन में एक चेतना जागृत हुई। इन संस्थाओं के द्वारा नम्र भाषा में सरकार का ध्यान नियमों में संशोधन लाने के लिए आकर्षित किया जाता था , लेकिन साम्राज्यवादी अंग्रेज हमेशा इन प्रस्तावों को अनदेखा ही कर देते थे 

      भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना :-

 .1884 में अंग्रेजी अधिकारी ए०ओ० ह्यूम प्रयासों से इंडियन नेशनल यूनियन की स्थापना की गई ।

 . इस यूनियन में एक सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया लेकिन पुणे में हैजा बीमारी फैल जाने के कारण इस सम्मेलन का आयोजन उसी वर्ष मुंबई में गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में किया गया जहां पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की गई स्थापना का समय 28 दिसंबर दोपहर 12:00 बजे के समय में हुआ था जिसमे कुल 72 सदस्य सामिल थे ।

 . भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का संस्थापक ए०ओ० ह्यूम थे जिन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पिता कहा जाता है। तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नामकरण दादाभाई नौरोजी ने किया था।

 . भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य उद्देश्य था कि भारतीय राष्ट्रीय एकता को जागृत करना और अपने हक के लिए लड़ना ।

 . इसके प्रमुख सदस्य दादाभाई नरोजी, गोपाल कृष्ण गोखले, फिरोजशाह मेहता, सुरेंद्रनाथ बनर्जी, आनंद मोहन और अन्य प्रमुख नेता थे ।दादा भाई नौरोजी कुल 3 बार इस संस्थान के अध्यक्ष बने।

. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के समय भारत के वायसराय लॉर्ड कर्जन थे एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कुल 56 अधिवेशन हुए जिसमें प्रथम अधिवेशन के अध्यक्ष डब्ल्यू सी बनर्जी थे।

         

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना : अध्यक्ष, उद्देश्य, सेफ्टी वाल्व
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना : अध्यक्ष, उद्देश्य, सेफ्टी वाल्व

   भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रारंभिक उद्देश्य :-

प्रारम्भ में कांग्रेस का उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य की रक्षा करना था अथवा राष्ट्रीयता के माध्यम से सुधार लाना था। क्योंकि ईनका मानना था कि ब्रिटिश सरकार हम लोगों से अधिक शिक्षित हैं।

   कांग्रेस के प्रारंभिक उद्देश्य निम्नलिखित हैं :-

  . भारत के विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय हित के काम में संलग्न व्यक्तियों के बीच घनिष्ठता और मित्रता बढ़ाना ।

 . आनेवाले वर्षों में राजनीतिक कार्यक्रमों की रुपरेखा तैयार करना और उन पर सम्मिलित रूप से विचार विमर्श करना।

  . देशवासियों के बीच एकता का सम्बन्ध स्थापित करना तथा धर्म , वंश , जाति या प्रांतीय द्वेष को समाप्त करना ।

 . लोकतांत्रिक राष्ट्रवादी आंदोलन चलाना।

 . भारतीय नागरिकों की बात को ब्रटिश सरकार को सम्मेलन या प्राथना पत्र के माध्यम से पहुँचना।

  . भविष्य के राजनीतिक कार्यक्रमों की रूपरेखा सुनिश्चित करना।

 . राजनीतिक , सामाजिक तथा आर्थिक मुद्दों शिक्षित वर्गों को एकजुट करना।

  भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कुछ अध्यक्ष के नाम - 

अधिवेशन   वर्ष        स्थान      अध्यक्ष का नाम

पहला     1885 ई.   बम्बई      w. c बनर्जी ।

दूसरा     1886 ई.  कलकत्ता   दादाभाई नौरोजी।

तीसरा    1887 ई.  मद्रास      बदरुद्दीन तैयब जी।

चौथा     1888 ई.  इलाहाबाद   जॉर्ज यूल।

पांचवा    1889 ई.  बम्बई         सर विलियम

                                              वेडरबर्न

     क्या कांग्रेस की स्थापना के पीछे सेफ्टी वाल्व की अवधारणा थी :-

  ऐसा माना जाता है कि कांग्रेस की स्थापना 72 सदस्य ने अंग्रेज सरकार के इशारे पर की थी। इसके स्थापना के पीछे अंग्रेजों का यह मत था कि कांग्रेस की स्थापना हमारे लिए सेफ्टी वाल्व के रूप में काम करेगी  क्योंकि इसकी स्थापना हो जाने से 1857 जैसी दूसरी बड़ी क्रांति से बचा जा सके कुछ मिथ्य यह भी था कि इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों की शोषण से पनपी असंतोष, अहिंसा और क्रांति को टूटने से रोकने में आसानी होगी।

           सेफ्टी वाल्व का सिद्धांत सर्वप्रथम लाला लाजपत राय ने अपने पत्र 'यंग इंडिया' में प्रस्तुत किया। लाला लाजपत राय द्वारा 1916 में यंग इंडिया में प्रकाशित अपने एक लेख के माध्यम सुरक्षा वॉल्व की परिकल्पना की गई हैं।


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