बौद्ध धर्म में बोधिसत्व (Bodhisatva):-
• बोधिसत्व वह होता है जिसमें सभी संवेदनशील प्राणियों के लाभ के प्रयोजन से बुद्धत्व प्राप्त करने हेतु बोधिचित्त ( एक सहज इच्छा और करुणामेय चित) विकसित कर लिया है।
• जातक कथाओं के अनुसार बुद्ध अपने पूर्व जन्म में बोधिसत्व थे। बुद्ध बनने के मार्ग पर बोधिसत्व को 10 धाराओं या भूमियों से गुजरना पड़ता है, जिनमें शामिल है।- प्रसन्नता, निर्मलता, प्रकाश, दीप्ति, अति कठिन प्रशिक्षण, उत्कृष्टता, बहुत दूर जाना, अचल, अच्छे विवेक वाली बुद्धिमत्ता और धर्मरूप बादल। इन 10 भूमियों को पार कर ही व प्रबुद्ध बन सकता है।
बौद्ध धर्म के अंतर्गत प्रमुख बोधिसत्व (Bodhisatva) में निम्न सम्मिलित है।
1) अवलोकितेश्वर -
यह बुद्ध के इर्द-गिर्द तीन सुरक्षात्मक देवताओं में से एक है इन्हें कमल के फूल पकड़े हुए वर्णित किया जाता है उन्हें पद्मापानी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी चित्रकारी अजंता की गुफाओं में भी देखी जा सकती है ।
2) वज्रपाणि -
यह भी बुद्ध के तीन सुरक्षात्मक देवताओं में से एक है एवं इन्हें भी अजंता की गुफाओं में चित्रित किया गया है।
3) मंजूश्री -
यह भी बुद्ध के तीन सुरक्षात्मक देवताओं में से एक है, तथा इन्हें भी अजंता की गुफाओं में चित्रित किया गया है यह बुद्ध की बुद्धिमत्ता से संबंधित है और एक पुरुष बोधिसत्व है, जिन्हें हाथ में तलवार लिए हुए दिखाया गया है।
4) सामंतभद्र -
ध्यान और आचरण से संबंध है ।
5) मैत्रेय -
भविष्य के बुध जो भविष्य में पृथ्वी पर आएंगे पूर्ण ज्ञान प्राप्त करेंगे और शुद्ध धर्म की शिक्षा देंगे हंसते हुए बुध को मैत्रेय का अवतार माना जाता है।
6) अकाशगर्भ -
अकाश तत्वों से जुड़े हैं।
7) सितातपात्र -
यह अलौकिक खतरो के विरुद्ध रक्षा करती है और इनकी महायान और वज्रयान दोनों ही संप्रदाय में पूजा की जाती है।
बौद्ध धर्म के संप्रदाय हीनयान और महायान में अंतर
• हीनयान के प्रमुख संप्रदाय हैं - वैभाषिक तथा सौत्रान्तिक । स्थविरवादी , सर्वास्तिवादी तथा सम्मितीय हीनयान के अन्य उपसंप्रदाय हैं । बौद्ध धर्म के अंतर्गत सर्वास्तिवादियों की मान्यता थी कि फिनोमिना के अवयव पूर्णतः क्षणिक नहीं हैं , अपितु अव्यक्त रूप में सदैव विद्यमान रहते हैं । महायान बौद्ध संप्रदाय के दो मुख्य भाग हैं- शून्यवाद या माध्यमिका एवं विज्ञानवाद या योगाचार ।
• हीनयान में बुद्ध महापुरुष के रूप में हैं ,महायान में देवता के रूप में स्थापित हो गए ।
• हीनयान में बुद्ध को प्रतीकों के रूप में दर्शाया गया है , जबकि महायान में मूर्तिपूजा शुरू हो गई ।
• हीनयान स्वयं के प्रयत्नों पर बल देता है , जबकि महायान गुणों के स्थानांतरण पर बल देता है ।
• हीनयान का आदर्श है- ' अर्हत पद की प्राप्ति ' जबकि महायान में ‘ बोधिसत्व ’ की परिकल्पना मौजूद है ।
बौद्ध धर्म की लोकप्रियता का कारण :-
• जटिल दार्शनिक वाद-विवाद का ना होना।
• लोकभाषा पाली में उपदेश देना ।
• बौद्ध धर्म को राजकीय संरक्षण प्राप्त होना।
• सामाजिक समानता का सिद्धांत।
• बौद्ध धर्म का लचीलापन, इसमें मध्यम मार्ग का रास्ता बताया गया था।
• समय-समय पर बौद्ध संगति ओ का आयोजन l
बौद्ध के पतन के कारण :
• समय तक बौद्ध धर्म में भी उन बुराइयों का प्रवेश हुआ जिसके विरुद्ध बुद्ध ने आवाज उठाई थी जैसे - कर्मकांड, अंधविश्वास, आगे चलकर मूर्तिवाद इत्यादि।
• बौद्ध धर्म का विभिन्न उपसंप्रदायों में विभाजन होना।
• गुप्त काल तक महायान बौद्ध धर्म एवं हिंदू धर्म की गतिविधियों में अंतर करना मुश्किल, तथा बुद्ध को विष्णु के अवतार माने जाने लगा।
• ब्राह्मण धर्म में अहिंसा एवं भक्ति जैसे विचारों का समावेश।
• कुछ शासकों को बौद्ध विरोधी दृष्टिकोण जैसे - मिहिरकुल ,शशांक (बंगाल के शासक) आदि ने बौद्ध धर्म का विरोध किया। ऐसा माना जाता है कि शशांक ने बोधि वृक्ष को कटवा दिया था।
• राजकीय संरक्षण में कमी।
• बौद्ध मठ धन का केंद्र था अतः तुर्क आक्रमणकारियो ने भी इसे नुकसान पहुंचाया।
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बौद्ध धर्म में बोधिसत्व
गांधी जी द्वारा किए गए प्रमुख आंदोलन :-
चंपारण सत्याग्रह 1917 , अहमदाबाद मिल हड़ताल 1918 और खेरा सत्याग्रह 1918
रॉलेट एक्ट , रॉलेट सत्याग्रह तथा जालियांवाला बाग हत्याकांड-1919
खिलाफत एवं असहयोग आंदोलन : प्रथम जन आंदोलन
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