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 कुछ महत्वपूर्ण संविधान संशोधन


प्रथम संशोधन अधिनियम, 1950: संविधान के अनुच्छेद 19 को जोड़ा ।

द्वितीय संशोधन अधिनियम, 1952: इस संशोधन द्वारा लोकसभा चुनाव के लिए प्रतिनिधित्व के अनुपात पुनः समायोजित किया गया।

सातवां संशोधन अधिनियम, 1956 : राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों को लागू करने और पारिणामिक परिवर्तनों को शामिल करने के उदेश्य से यह संशोधन किया गया। मोटे तौर पर तत्कालीन राज्यों और राज्य क्षेत्रों का राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के रूप में वर्गीकरण किया गया। संशोधन में लोकसभा का गठन, प्रत्येक जनगणना के पश्चात पुनः समायोजन, नए उच्च न्यायालयों की स्थापना और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों आदि के बारे में उपबंधों की भी व्यवस्था की गई है।

● आठवां संशोधन अधिनियम, 1960: संसद और राज्य विधानमंडलों में अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए और नामनिर्देशन द्वारा आंग्ल भारतीय समुदाय के लिए स्थानों के आरक्षण की अवधि 10 वर्ष तक और बढ़ाने के लिए अनुच्छेद 334 में संशोधन किया गया।

●  नौवां संशोधन अधिनियम, 1960 भारत और पाकिस्तान की सरकारों के बीच हुए करारों के अनुसरण में पाकिस्तान को कतिपय राज्य क्षेत्रों का हस्तांतरण करने की दृष्टि से यह संशोधन किया गया। यह संशोधन इसलिए आवश्यक हुआ कि बेरुबाड़ी के हस्तांतरण के मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह निर्णय दिया था कि किसी राज्य क्षेत्र को किसी दूसरे देश को देने के करार को अनुच्छेद 3 के अधीन बनाई गई किसी विधि द्वारा क्रियान्वित नहीं किया जा सकता, अतिपु इसे संविधान में संशोधन करके ही क्रियान्वित किया जा सकता है। 

10वां संशोधन अधिनियम, 1961 दादरा और नगर हवेली के क्षेत्र को केंन्द्रशासित प्रदेश के रूप में शामिल करने और राष्ट्रपति की विनियम बनाने की शक्तियों के तहत उसमें प्रशासन की व्यवस्था करने के लिए अनुच्छेद 240 और पहली अनुसूची को संशोधित किया।

12वां संशोधन अधिनियम, 1962 इस संशोधन के द्वारा गोवा, दमन और दीव को केंद्रशासित प्रदेश के शामिल किया गया और इस प्रयोजन के लिए अनुच्छेद 240 का संशोधन किया गया।

13वां संशोधन अधिनियम, 1962 इस संशोधन द्वारा भारत सरकार और नगा पीपुल्स कन्वेंशन के बीच हुए एक करार के अनुसरण में नगालैंड राज्य के संबंध में विशेष उपबंध करने के लिए एक नया अनुच्छेद 371 क जोड़ा गया। 

● 14वां संशोधन अधिनियम, 1962 इस अधिनियम के द्वारा पुदुचेरी केंद्रशासित प्रदेश के रूप में प्रथम अनुसूची में जोड़ा गया और इस अधिनियम द्वारा हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, गोवा, दमन और दीव तथा पुडुचेरी के केंद्रशासित प्रदेशों के लिए संसदीय विधि द्वारा विधानमंडलों का गठन किया जा सका।

 ● 18वां संशोधन अधिनियम, 1966 इस अधिनियम द्वारा अनुच्छेद 3 का संशोधन यह स्पष्ट करने के लिए किया गया कि 'राज्य' शब्द में केंद्रशासित प्रदेश भी शामिल होगा और इस अनुच्छेद के तहत नया राज्य बनाने की शक्ति में किसी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के एक भाग को किसी दूसरे राज्य या केंद्रशासित प्रदेश से। मिलाकर एक नया राज्य या केंद्रशासित प्रदेश बनाने की शक्ति को भी शामिल किया गया।

● 21वां संशोधन अधिनियम, 1967: इस संशोधन द्वारा सिंधी भाषा को अष्टम अनुसूची में शामिल किया गया।

● 22वां संशोधन अधिनियम, 1969 यह अधिनियम असम राज्य में एक नए स्वायत्त राज्य मेघालय का निर्माण करने की दृष्टि से लागू किया गया।

● 23वां संशोधन अधिनियम, 1969 अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों तथा आंग्ल भारतीयों के लिए संसद और राज्य विधानमंडलों में स्थानों के आरक्षण की अवधि 10 वर्ष तक और बढ़ाने के लिए, अनुच्छेद 334 का संशोधन किया गया।

● 26वाँ संशोधन अधिनियम, 1971 इस संशोधन द्वारा रियासतों के शासकों के 'प्रिवीपर्स' और विशेषाधिकारों को समाप्त किया गया। यह संशोधन माधवराव मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के परिणामस्वरूप पारित किया गया।

● 27वां संशोधन अधिनियम, 1971 : यह संशोधन अधिनियम उत्तर-पूर्वी राज्यों के पुनर्गठन के कारण आवश्यक कतिपय बातों की व्यवस्था करने के लिए पारित किया गया। एक नया अनुच्छेद 239ख जोड़ा गया, जिससे कुछ केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन अध्यादेश जारी करने के लिए समर्थ हो गए। 

● 31वां संशोधन अधिनियम, 1973 इस अधिनियम द्वारा अन्य बातों के साथ-साथ लोकसभा में राज्यों के प्रतिनिधित्व की अधिकतम संख्या 500 से बढ़ाकर 525 तथा केंद्रशासित प्रदेशों के सदस्यों की अधिकतम संख्या को 25 से घटाकर 20 किया गया। 

● 38वां संशोधन अधिनियम, 1975 इस अधिनियम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 123, 213 और 352 में संशोधन करके यह उपबंध किया गया कि इन अनुच्छेदों में उल्लेखित राष्ट्रपति या राज्यपाल के संवैधानिक निर्णय को किसी भी न्यायालय में आत्मसंतुष्टि के लिए चुनौती दी जा सकेगी।

● 39वां संशोधन अधिनियम, 1975 इस अधिनियम द्वारा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के निर्वाचन संबंधी विवादों का ऐसे प्राधिकारी द्वारा विचार किया जा सकेगा, जो संसदीय कानून द्वारा नियुक्त किया जाए। इस अधिनियम द्वारा 9वीं अनुसूची में कतिपय केंद्रीय कानूनों को भी शामिल किया गया।

● 42वां संशोधन अधिनियम, 1976 इस अधिनियम द्वारा संविधान में अनेक महत्वपूर्ण संशोधन किए गए। ये संशोधन मुख्यतः स्वर्णसिंह सीमित की सिफारिशों को लागू करने के लिए थे।

44वां संशोधन अधिनियम, 1978 संपत्ति के अधिकार को, जिसके कारण संविधान में कई संशोधन करने पड़े, मूल अधिकार के रूप में हटाकर केवल विधिक अधिकार बना दिया गया। फिर भी यह सुनिश्चित किया गया कि संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकारों की सूची से हटाने से अल्पसंख्यकों के अपनी पसंद के शिक्षा संस्थानों की स्थापना करने और संचालन संबंधी अधिकारों पर कोई प्रभाव न पड़े।

● 45वां संशोधन अधिनियम, 1980 यह अधिनियम संसद तथा राज्य विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और आंग्ल भारतीयों के लिए स्थानों के आरक्षण संबंधी व्यवस्था को 10 वर्षों की अवधि के लिए और बढ़ाने के उद्देश्य से पारित किया गया।

● 52वां संशोधन अधिनियम, 1985 इस संशोधन द्वारा यह व्यवस्था की गई है कि यदि कोई संसद सदस्य या विधान सदस्य दल-बदल करता है या दल द्वारा निकाल दिया जाता है, जिसने उसे चुनाव में खड़ा किया था, या कोई निर्दलीय उम्मीदवार जो चुने जाने के छह महीने के अंदर किसी राजनीतिक दल का सदस्य बन जाता है, वह सदन का सदस्य होने के अयोग्य करार दिया जाएगा।

● 53वां संशोधन अधिनियम, 1986: यह भारत सरकार और मिज़ोरम सरकार द्वारा मिज़ोरम नेशनल फ्रंट के साथ 30 जून 1986 को हुए मिज़ोरम समझौते को लागू करने के लिए बनाया गया है। इसके लिए नया अनुच्छेद 371 (जी) संविधान में जोड़ा गया है।

● 55 वां संशोधन अधिनियम, 1986 इसमें केंद्रशासित प्रदेश अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा दिए जाने के भारत सरकार के प्रस्ताव को लागू किया गया है। इसके लिए संविधान में एक नया अनुच्छेद 371एच जोड़ा गया।

● 56वां संशोधन अधिनियम, 1987 भारत सरकार ने केंद्रशासित प्रदेश गोवा, दमन व दीव के गोवा जिले में शामिल क्षेत्र को गोवा राज्य के रूप में तथा उसी केंद्रशासित प्रदेश के दमन व दीव में शामिल क्षेत्र को दमन व दीव नामक एक नए केंद्रशासित प्रदेश के रूप में गठन का प्रस्ताव किया है। 

 ● 61वां संशोधन अधिनियम, 1989 इस अधिनियम के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 326 का संशोधन करके मताधिकार की आयु 21 से घटाकर 18 वर्षा कर दी गई, ताकि देश के उस युवा वर्ग को जिसे अभी तक कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया था, अपनी भावनाएं व्यक्त करने का अवसर मिल सके और वही राजनीतिक प्रक्रिया का अंग बन सके।

● 71वां संशोधन अधिनियम, 1992 इस अधिनियम से संविधान की आठवीं अनुसूची में संशोधन करके इसमें कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली भाषाओं को शामिल किया गया है। 

● 73वां संशोधन अधिनियम, 1993 इस अधिनियम से संविधान में पंचायत से संबंधित एक नया पैरा-9 जोड़ा गया है। इसका उद्देश्य अन्य चीजों के अलावा, एक गांव में अथवा गांवों के समूह में ग्रामसभा स्थापित करना, गांव के स्तर पर तथा अन्य स्तरों पर पंचायतों का गठन करना, गांव और उसके बीच के स्तर पर पंचायतों की सभी सीटों के लिए सीधे चुनाव करना, ऐसे स्तरों पर पंचायत के पदाधिकारियों के चुनाव के लिए जनसंख्या के आधार पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण, महिलाओं के लिए कम- से कम एक तिहाई सीटों का आरक्षण, पंचायतों के लिए पांच साल की कार्यावधि तय करना और यदि कोई पंचायत भंग हो जाती है तो छह महीने के भीतर उसका चुनाव कराने की व्यवस्था करना है।

● 94वां संशोधन अधिनियम, 2006 संविधान के अनुच्छेद 164 की धारा (1) के प्रावधान में बिहार शब्द के स्थान पर 'झारखण्ड, छत्तीसगढ़' शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा। 6वां संशोधन अधिनियम, 2011 संविधान की आठवीं अनुसूची में 'उडिया' के स्थान पर 'ओडिया' लिखा जाए।

● 97वां संशोधन अधिनियम, 2011: अनुच्छेद 19 (1) (ग) में "अथवा संघों " शब्दों के बाद अथवा 'सहकारी सोसाइटी" शब्द जोड़े गए तथा अनुच्छेद 43 (ख) यानी सहकारी सोसाइटियों के संवर्धन को शामिल किया गया।

● 98वां संशोधन अधिनियम, 2012: संविधान में अनुच्छेद 371 (जे) शामिल किया गया। इसका उदेश्य कर्नाटक के राज्यपाल को हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र के विकास हेतु कदम उठाने के लिए सशक्त करना था। 

● 99वां संशोधन अधिनियम, 2014: नए अनुच्छेद 124 (क), 124 (ख) तथा 124 (ग) को संविधान के अनुच्छेद 124 के बाद शामिल किया गया। यह अधिनियम प्रस्तावित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के संघटन तथा अधिकार भी तैयार करता है।

कुछ महत्वपूर्ण संविधान संशोधन : 42वां संशोधन अधिनियम- 1976,  44वां संशोधन अधिनियम- 1978, 104वां संशोधन अधिनियम 2019

● 100वां संशोधन अधिनियम, 2015: संविधान के प्रथम अनुसूची को 16 मई, 1974 को हस्ताक्षरित भू-सीमा के सीमांकन से समझौते तथा दिनांक 6 सितंबर, 2011 को हस्ताक्षरित उसके मूल पत्र के अनुसरण में हानिकर आधिपत्य को बनाए रखते हुए तथा विदेशी अंतः क्षेत्र की अदला-बदली के माध्यम से भारत द्वारा राज्य क्षेत्र का हस्तांतरण करने के प्रयोजन को लागू करने के लिए संशोधित किया गया।

● 101वाँ संशोधन अधिनियम, 2016 इस अधिनियम द्वारा " वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के लिए संविधान की धाराएं 248,249,250 268, 269, 270, 271, 286, 366 एवं 368 में संशोधन किया गया है। 

● 102वां संशोधन अधिनियम, 2018 राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा । 

● 103वां संशोधन अधिनियम, 2019: आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ई.डब्ल्यू.एस.) के लिए अधिकतम | 10% आरक्षण वर्गों के नागरिकों के अलावा अन्य वर्गों (4) और अनुच्छेद 15 के वर्गों (5) में वर्णित है।

● 104वां संशोधन अधिनियम, 2019 संविधान के अनुच्छेद 334 में संशोधन, स्थानों के आरक्षण और विशेष प्रतिनिधित्व का अस्सी वर्ष के पश्चात् न रहना ।


 कुछ महत्वपूर्ण संविधान संशोधन : 42वां संशोधन अधिनियम- 1976,  44वां संशोधन अधिनियम- 1978, 104वां संशोधन अधिनियम 2019

 कुछ महत्वपूर्ण संविधान संशोधन : constitutional amendments

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