भूकंप (Earthquake)
भूपटल में होने वाले किसी भी प्रकार के कंपन या दोलन को भूकंप कहते हैं। यह एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जो कम समय में ही मानव समुदाय को भारी क्षति पहुँचाती है।
■ भूकंप एक प्राकृतिक घटना है जिसमें पृथ्वी के भीतर से ऊर्जा मुक्त होने के कारण लहरें चारों ओर फैलकर भूकंप लाती हैं। जहाँ से भूकंप जनित ऊर्जा निकलती है, उस क्षेत्र को भूकंप का उद्गम केंद्र (Focus) कहते हैं। भूतल का वह बिंदु जहाँ पर ऊर्जा से उत्पन्न तरंगों को सबसे पहले महसूस किया जाता है, अधिकेंद्र (Epicentre) कहलाता है। अधिकेंद्र उद्गम केंद्र के ठीक ऊपर, भूतल पर स्थित होता है।
■ भूकंप के उद्गम केंद्र (Focus) से भूकंपीय तरंगें चारों ओर अग्रसर होती हैं।
इन तरंगों के तीन प्रमुख प्रकार होते हैं:
• प्राथमिक या दाब तरंगें (P- Waves)
• द्वितीयक, अनुप्रस्थ या अपरूपण तरंगें (Secondary or Transvers or Shear Waves-S Waves)
• दीर्घ या धरातलीय तरंगें (L-Waves)
भूकंप के कारण
भूकंप आने के निम्नलिखित कारण हैं:
■ प्लेटों की गतिशीलताः अधिकतम भूकंप प्लेटों के किनारों के सहारे आते हैं। इसका प्रमुख कारण प्लेटों का संचलन है। भूपटल छह मुख्य प्लेटों में बँटा है। ये प्लेटें विभिन्न प्रकार की गतियाँ करती हैं जिस कारण प्लेटों के किनारों के सहारे भूकंप आते हैं। प्लेटों की अपसरण, अभिसरण संरक्षी आदि गतियाँ इसके लिये उत्तरदायी हैं।
■ ज्वालामुखी क्रिया में जब भू-गर्भ से तप्त लावा, गैसें, जल तथा चट्टानी पदार्थ कमजोर धरातल को तोड़कर बाहर निकलते हैं तो इस क्रिया के दौरान उत्पन्न कंपन से भूकंप आते हैं।
■ इसके अलावा भूपटल में सिकुड़न, वलन तथा भ्रंशन एवं भू-संतुलन का बिगड़ना आदि कारण भूकंप के लिये उत्तरदायी हैं।
भारत में भूकंप के क्षेत्र
भारत के प्राकृतिक विभागों एवं भूकंप क्षेत्रों में काफी गहरा संबंध पाया जाता है। भूकंप के क्षेत्रीय वितरण की दृष्टि से भारत को प्राकृतिक विभागों के अनुरूप ही तीन मुख्य भागों में विभाजित किया जाता है:
हिमालय क्षेत्र
इस भूकंप पेटी का विस्तार पश्चिम में जम्मू और कश्मीर से लेकर हिमालय के सहारे पूर्व में उत्तर-पूर्वी भारत तक विस्तृत है। हिमालय प्रदेश में भारतीय प्लेट का क्षेपण यूरेशियाई प्लेट के नीचे हो रहा है। इस क्षेपण के फलस्वरूप घर्षण की क्रिया होती है, जिस कारण उत्पन्न ऊर्जा भूकंपीय तरंगों के रूप में बाहर निकलती है। इस क्षेत्र में अनेक बड़े भूकंप आ चुके हैं, जैसे- असम, कांगड़ा, बिहार, नेपाल व उत्तरकाशी में आए भूकंप। 25 अप्रैल, 2015 को नेपाल में आए 7.8 तीव्रता के भूकंप ने काफी क्षति पहुँचाई।
गंगा-सिंधु मैदान
इस क्षेत्र में धरातल के नीचे कई भ्रंशों के कारण भू-गर्भ की चट्टानें अभी भी असंतुलित अवस्था में हैं। इसी असंतुलन के कारण इस प्रदेश में भूकंप आते हैं। साथ ही इस क्षेत्र में हिमालय क्षेत्र के भूकंपों का प्रभाव पड़ता है। इस क्षेत्र में भूकंप की बारंबारता एवं तीव्रता हिमालय क्षेत्र की तुलना में कम है। अतः इस क्षेत्र को सामान्य प्रभावित क्षेत्र कहा जाता है।
प्रायद्वीपीय क्षेत्र
■ इसके अंतर्गत संपूर्ण प्रायद्वीपीय भारत को सम्मिलित किया जाता है। भारत का प्रायद्वीपीय पठार एक स्थिर एवं दृढ भूखंड है। यह प्राचीनतम स्थलखंड पेंजिया का ही एक अंग है। अतः यह भूकंप से न्यूनतम प्रभावित क्षेत्र कहा जाता है। इसके बावजूद यहाँ कोयना, लातूर एवं जबलपुर में भूकंपीय घटनाएँ हुई हैं। इस क्षेत्र के भू-गर्भ में कई भ्रंश हैं जिनके चलते यहाँ भूकंप आते हैं। 26 जनवरी, 2001 को कच्छ क्षेत्र में 7.7 तीव्रता के भूकंप ने भयानक तबाही मचाई।
■ राष्ट्रीय भू-भौतिकी प्रयोगशाला, भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण, मौसम विज्ञान विभाग, भारत सरकार और इनके कुछ समय पूर्व बने आपदा प्रबंधन संस्थान ने भारत में आए 1200 भूकंपों का गहन विश्लेषण कर भारत को निम्नलिखित 5 भूकंपीय क्षेत्रों में बाँटा है:
■ गौरतलब है कि वर्तमान समय में भूंकप जोखिम में वृद्धि का कारण तीव्र शहरीकरण आर्थिक विकास एवं भारतीय अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण के द्वारा होने वाली विकास गतिविधियों में वृद्धि आदि को माना जा रहा है। मानव जीवन की क्षति भूकंप जोखिम का एकमात्र निर्धारक नहीं है क्योंकि भूकंप के बाद स्थानीय या क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के पतन जैसे गंभीर आर्थिक नुकसान पूरे देश पर दीर्घकालिक प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। ये प्रभाव और अधिक भयावह हो सकते हैं यदि भूकंप मेगा शहरों को प्रभावित करता है।
भूकंप के प्रभाव
■ भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है। इसका प्रभाव सदैव विध्वंसक होता है, केवल मानव आवासित क्षेत्रों में आने वाला भूकंप ही आपदा का कारण बनता है।
■ भूकंप के मुख्य प्रभावों में झटके और भूमि का फटना शामिल हैं जिससे इमारतों व अन्य . कठोर संरचनाओं, जैसे -बांध, पुल, नाभिकीय ऊर्जा केंद्र एवं अन्य आधारभूत संरचनाओं को नुकसान पहुँचता है।
■ भूकंप, भूस्खलन और हिमस्खलन का कारण बनता है जिसके कारण पर्वतीय एवं पहाड़ी इलाकों में काफी क्षति हो सकती है।
■ भूकंप के कारण विद्युत लाइन टूट जाने से आग लग सकती है, बांध एवं तटबंध टूटने से बाढ़ आ सकती है, समुद्र के भीतर भूकंप के कारण मृदा द्रवीकरण (Soil liquefaction) हो सकता है जिससे इमारतों और पुलों को नुकसान पहुँच सकता है।
■ जीवन की हानि, संपत्ति की क्षति, मूलभूत आवश्यकताओं की कमी आदि भूकंप के प्रमुख प्रभाव हो सकते हैं।
■ पिछले 15 वर्षों के दौरान देश ने 10 बड़े भूकंपों का अनुभव किया है जिनके परिणामस्वरूप 20,000 से अधिक मौतें हुई हैं।
भूकंप प्रबंधन
भूकंप आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन के अंतर्गत निम्नलिखित पक्षों को सम्मिलित किया जाता है:
■ जोखिम आकलन एवं भूकंप प्रकोप का विश्लेषण ।
■ भूकंप सुभेद्यता (Vulnerability) तथा जोखिम क्षेत्रों (Risk Zones) का मानचित्रण।
■ भूकंप का पूर्वानुमान ।
■ भूकंप आपदा तैयारी।
■ खोज एवं बचाव कार्य ।
■ भूकंप आपदा आने के बाद राहत कार्य ।
■ आपदा से ग्रसित लोगों की मानसिक, आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं से रिकवरी ।
■ आपदा के कारण विस्थापित लोगों का पुनर्वास ।
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