बंगाल विजय
(A) प्लासी की लड़ाई जून 1757
ईस्ट इंडिया कम्पनी और बंगाल के बीच
* बंगाल का नवाब सिराजुद्दौला
करण :-
(1)अंग्रेजों की महत्वाकांक्षा
(2)1717 का मुगल आदेश
(3)ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा नवाब की संप्रभुता को चुनौती
(4)सिराजुद्दौला का कोलकाता पर नियंत्रण
(5)काल कोठरी की दुर्घटना
(6)अंग्रेजों का पुनः कोलकाता पर नियंत्रण
(7)अंग्रेजों के द्वारा नवाब के विरुद्ध षड्यंत्र
(1)अंग्रेजों की महत्वाकांक्षा
द्वितीय कर्नाटक युद्ध में अंग्रेजों की सफलता तथा भारत की परिस्थितियों के कारण साम्राज्य विस्तार की लिप्सा जाग उठी जैसे ही बंगाल में सत्ता को लेकर संघर्ष प्रारंभ हुआ अंग्रेजों ने हस्तक्षेप करने का निर्णय किया
(2)1717 का मुगल आदेश
1717 में मुगल शासक फर्रूखसियर ने ₹3000 वार्षिक कर के लिए अंग्रेजों को बंगाल, बिहार और उड़ीसा में मुक्त व्यापार की अनुमति दी। कंपनी के कर्मचारी निजी व्यापार के लिए भी इस आदेश का दुरुपयोग करते थे बंगाल के नवाब एवं कंपनी के मध्य इस मुद्दे को लेकर तनाव बना था।
(3) ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा नवाब की संप्रभुता को चुनौती
(a) 1756 में सिराजुद्दौला के नवाब बनते ही सत्ता को लेकर संघर्ष प्रारंभ हुआ। शौकतगंज, घसीटी बेगम ने सिराज की सत्ता को चुनौती दी तथा अंग्रेज ने इस विरोधियों को संरक्षण। अतः दोनों में तनाव का होना स्वाभाविक था।
(b) इतना ही नहीं अंग्रेजों ने कोलकाता में भारतीय वस्तुओं पर कर लगाया और नवाब के मना करने के बावजूद कोलकाता की किलेबंदी की यह नवाब की संप्रभुता को चुनौती थी।
(4) सिराजुद्दौला का कोलकाता पर नियंत्रण
सिराजुद्दौला ने 1756 में कोलकाता पर नियंत्रण स्थापित किया और कोलकाता की जिम्मेवारी मानिकचंद नामक अधिकारी को सौंपी।
(5)काल कोठरी की दुर्घटना
कोलकाता पर नियंत्रण काल कोठरी की दुर्घटना को लेकर भी चर्चा रहा है, हलवेल नामक ब्रिटिश अधिकारी ने इस दुर्घटना के लिए नवाब को जिम्मेवार ठहराया आधुनिक शोधों में इस घटना की पुष्टि नहीं हुई है लेकिन तत्कालीन तौर पर इसने अंग्रेजों को एकजुट किया एवं प्रतिशोध की भावना से प्रेरित भी।
(6)अंग्रेजों का पुनः कोलकाता पर नियंत्रण
इस घटना के पश्चात मद्रास से क्लाइव एवं वॉटसन के नेतृत्व में एक सेना बंगाल भेजी गई मानिकचंद को पैसे देकर कोलकाता पर नियंत्रण स्थापित किया गया और नवाब ने अलीनगर के संधि के द्वारा कोलकाता पर अंग्रेजों के नियंत्रण को स्वीकार किया तथा किलेबंदी के अधिकारों की मान्यता दी।
(7)अंग्रेजों के द्वारा नवाब के विरुद्ध षड्यंत्र
कैलिव के द्वारा नवाब को हटाने की योजना बनाई गई इस षड्यंत्र में मीर जाफर, खादिम खान, राय दुर्लभ जैसे अधिकारी थे।
प्लासी की लड़ाई की परिणाम:-
(1) बंगाल के संसाधनों पर अंग्रेजों का नियंत्रण
(2) कंपनी के कर्मचारियों को दस्तक की सुविधा दी गई
(3) कंपनी को 24 परगना की जमींदारी दी गई
(4) पूर्वी भारत में कंपनी का पहचान राजनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित हुई
(5) कंपनी की महत्वाकांक्षा बढ़ी
(6) बंगाल पर कंपनी का अप्रत्यक्ष नियंत्रण।
(B)बक्सर का युद्ध अक्टूबर 1764
ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल, अवध तथा मुगल के साथ हुआ
* ईस्ट इंडिया कंपनी का गवर्नर हेक्टर मुनरो,
* बंगाल का नवाब मीर कासिम,
* अवध का शुजाउद्दौला और
* मुगल का शाह आलम द्वितीय
करण :-
(1)अंग्रेजों की महत्वाकांक्षा
प्लासी की लड़ाई तथा तृतीय कर्नाटक युद्ध में सफलता से अंग्रेजों की महत्वाकांक्षा बढ़ी।
(2)मीर कासिम की महत्वाकांक्षा
मीर कासिम की यह सोच थी अंग्रेजों के साथ की गई संधि का पालन करते हुए एक संप्रभुत शासन के तौर पर काम करना है ।
(3)मीर कासिम के कार्य
कासिम के कुछ कार्य से अंग्रेजों का चिंतित होना स्वाभाविक था। जैसे कासिम ने मुर्शिदाबाद के स्थान पर मुंगेर को राजधानी बनाया मुंगेर में तोप और बंदूक बनाने का कारखाना बनाया राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए भी कुछ उपाय किए।
(4)1717 के फरमान को लेकर तनाव
प्लासी की तरह बक्सर के युद्ध का यह एक महत्वपूर्ण कारण था कम्पनी के कर्मचारियों के द्वारा भारतीय व्यापारियों को दस्त की सुविधा उपलब्ध कराई इससे नवाब को आर्थिक छाती हो रही थी इस मुद्दे पर कंपनी से बातचीत हुई लेकिन इस समस्या का समाधान नहीं हुआ।
बक्सर का युद्ध इलाहाबाद की संधि के द्वारा समाप्त हुआ।
बक्सर युद्ध का परिणाम :-
(1) बंगाल के सत्ता पर प्रत्यक्ष नियंत्रण अंग्रेजों का हो गया
(2) रॉबर्ट क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन (1765) की स्थापना की गई
(3) बंगाल में नवाब पद की समाप्ति कर दी गई
(4) प्रशासनिक संचालन अंग्रेजों के हाथों में चला गया
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