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पेसा कानून (PESA Act) और पंचायती राज 


भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहाँ सरकार का उद्देश्य सभी नागरिकों को समान अधिकार और विकास के अवसर प्रदान करना है। लेकिन देश के कुछ विशेष क्षेत्रों, विशेषकर आदिवासी इलाकों में, स्थानीय परंपराओं, रीति-रिवाजों और स्वशासन की विशेष व्यवस्था रही है। इन क्षेत्रों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पेसा कानून (Panchayats (Extension to Scheduled Areas) Act, 1996) बनाया गया था।

पेसा कानून 1996 में लागू किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य आदिवासी क्षेत्रों में पारंपरिक ग्राम सभा (Village Assembly) को सशक्त बनाना और पंचायती राज प्रणाली को इन क्षेत्रों की जरूरतों के अनुसार ढालना था।

1. पेसा कानून क्या है? (What is PESA Act?)


पेसा (PESA) का पूरा नाम है - "The Provisions of the Panchayats (Extension to the Scheduled Areas) Act, 1996"। यह कानून संविधान के 73वें संशोधन (1992) के तहत बनाया गया था। यह विशेष रूप से संविधान की पाँचवी अनुसूची (Fifth Schedule) के अंतर्गत आने वाले अनुसूचित क्षेत्रों (Scheduled Areas) के लिए लागू किया गया।

1.1 पेसा कानून क्यों बना? (Need for PESA Act)


भारत के अधिकांश हिस्सों में पंचायती राज व्यवस्था 73वें संविधान संशोधन के तहत लागू की गई थी। लेकिन आदिवासी क्षेत्रों की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना बाकी देश से भिन्न थी। आदिवासी समुदायों का अपना पारंपरिक शासन तंत्र था, जिसे पंचायती राज प्रणाली से समायोजित करना जरूरी था।

इसके अलावा, आदिवासी समुदायों को उनकी भूमि, जंगल, जल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर अधिक अधिकार देने की आवश्यकता थी। इसलिए, पंचायती राज अधिनियम को अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तारित करने के लिए पेसा कानून बनाया गया।

2. पेसा कानून की मुख्य विशेषताएँ (Key Features of PESA Act)


पेसा कानून आदिवासी समुदायों को स्वशासन (Self-Governance) का अधिकार प्रदान करता है। इसकी कुछ मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं –

2.1 ग्राम सभा को सर्वोच्च अधिकार (Supremacy of Gram Sabha)-

ग्राम सभा (गाँव के सभी वयस्क नागरिकों की सभा) को गाँव के प्रशासन में सर्वोच्च निर्णय लेने का अधिकार दिया गया।

ग्राम सभा को जल, जंगल, जमीन और खनिज संसाधनों के उपयोग पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार मिला।

सरकार या कोई बाहरी एजेंसी ग्राम सभा की अनुमति के बिना खनन या उद्योग नहीं लगा सकती।

2.2 भूमि और संसाधनों पर अधिकार (Control over Land and Resources)-

आदिवासियों की भूमि को गैर-आदिवासियों को हस्तांतरित करने पर रोक लगाई गई।

ग्राम सभा को यह तय करने का अधिकार दिया गया कि गाँव की भूमि का उपयोग कैसे किया जाए।

प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन का अधिकार ग्राम सभा को दिया गया।

2.3 खनन और औद्योगिक विकास पर नियंत्रण (Control over Mining and Industries)-

किसी भी खनन परियोजना (Mining Projects) या उद्योग को ग्राम सभा की अनुमति के बिना शुरू नहीं किया जा सकता।

आदिवासी समुदायों की सहमति के बिना कोई बड़ा विकास कार्य नहीं किया जा सकता।

2.4 स्थानीय विवादों का समाधान (Dispute Resolution)-

ग्राम सभा को छोटे-मोटे झगड़ों और विवादों को सुलझाने का अधिकार दिया गया।

इससे आदिवासियों को थाने या अदालतों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।

2.5 परंपरागत व्यवस्थाओं की मान्यता (Recognition of Traditional Systems)-

पेसा कानून में आदिवासियों की परंपरागत शासन प्रणाली को मान्यता दी गई।

गाँव के बुजुर्गों और परंपरागत संस्थाओं को निर्णय लेने का अधिकार दिया गया।

3. पंचायती राज और पेसा कानून (Panchayati Raj and PESA Act)

3.1 पंचायती राज व्यवस्था क्या है?

पंचायती राज (Panchayati Raj System) भारत में स्थानीय स्वशासन (Local Self-Government) की एक प्रणाली है, जो गाँवों में लोकतांत्रिक शासन सुनिश्चित करती है। इसे संविधान के 73वें संशोधन (1992) के माध्यम से लागू किया गया था।

3.2 पंचायती राज और पेसा कानून में अंतर (Difference between Panchayati Raj and PESA Act)


4. पेसा कानून के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ (Challenges in Implementation of PESA Act)

हालाँकि पेसा कानून आदिवासी समुदायों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे लागू करने में कई समस्याएँ आई हैं –

4.1 कानून का सही तरीके से लागू न होना

कई राज्य सरकारों ने अब तक पेसा कानून को पूरी तरह से लागू नहीं किया है।

ब्यूरोक्रेसी (अधिकारी तंत्र) और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी से इस कानून का प्रभाव सीमित रह गया है।

4.2 प्रशासनिक हस्तक्षेप (Interference by Administration)

कई जगहों पर स्थानीय प्रशासन ग्राम सभाओं के निर्णयों में हस्तक्षेप करता है, जिससे उनका स्वायत्त शासन कमजोर होता है।

4.3 खनन और कॉरपोरेट दबाव (Corporate and Mining Pressure)

खनन कंपनियाँ और उद्योग बिना ग्राम सभा की अनुमति के काम करने की कोशिश करते हैं।

कई जगहों पर आदिवासी समुदायों को उनकी इच्छा के विरुद्ध विस्थापित कर दिया गया है।

4.4 साक्षरता और जागरूकता की कमी (Lack of Literacy and Awareness)

आदिवासी समुदायों में अब भी शिक्षा और जागरूकता का स्तर कम है, जिससे वे अपने अधिकारों के बारे में पूरी तरह से जानकारी नहीं रख पाते।

कई जगहों पर सरकारी अधिकारी या बाहरी लोग ग्राम सभाओं को गुमराह कर देते हैं, जिससे उनका स्वशासन कमजोर पड़ जाता है।

4.5 वित्तीय और प्रशासनिक संसाधनों की कमी (Lack of Financial and Administrative Resources)

पेसा कानून के तहत ग्राम सभाओं को अधिकार तो दिए गए हैं, लेकिन उन्हें लागू करने के लिए पर्याप्त वित्तीय और प्रशासनिक सहायता नहीं दी गई।

कई गाँवों में विकास कार्यों के लिए धन और कुशल अधिकारियों की कमी है।

5. पेसा एक्ट को प्रभावी बनाने के लिए उपाय (Steps to Strengthen PESA Act)

पेसा कानून को प्रभावी बनाने और आदिवासी समुदायों को वास्तविक अधिकार देने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं –

5.1 सभी राज्यों में पूर्ण कार्यान्वयन (Full Implementation in All States)

सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी राज्य पेसा कानून को पूरी तरह से लागू करें।

उन राज्यों पर कड़ी निगरानी रखी जाए, जिन्होंने अभी तक इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया है।

5.2 ग्राम सभाओं को सशक्त बनाना (Empowering Gram Sabhas)

ग्राम सभाओं को अधिक वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियाँ दी जाएँ।

ग्राम सभाओं को प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वे अपने अधिकारों का सही इस्तेमाल कर सकें।

5.3 खनन और उद्योगों पर सख्त नियंत्रण (Strict Control on Mining and Industries)

बड़ी कंपनियों को बिना ग्राम सभा की अनुमति के आदिवासी क्षेत्रों में काम करने से रोका जाए।

ग्राम सभाओं को खनन और उद्योगों के फैसलों में निर्णायक भूमिका दी जाए।

5.4 जागरूकता अभियान (Awareness Campaigns)

आदिवासी समुदायों में शिक्षा और जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएँ।

स्थानीय भाषाओं में पेसा कानून के बारे में जानकारी दी जाए, ताकि हर व्यक्ति इसे समझ सके।

5.5 भ्रष्टाचार पर रोक (Eliminating Corruption)

स्थानीय अधिकारियों और नेताओं पर कड़ी निगरानी रखी जाए, ताकि वे ग्राम सभाओं के अधिकारों का दुरुपयोग न करें।

भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

6. निष्कर्ष (Conclusion)

पेसा एक्ट आदिवासी समुदायों के स्वशासन और अधिकारों की रक्षा करने के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। यदि इसे सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह आदिवासी समुदायों को आत्मनिर्भर बना सकता है और उनके जल, जंगल, जमीन पर उनके अधिकारों को सुनिश्चित कर सकता है।

हालाँकि, अभी भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं, लेकिन यदि सरकार, प्रशासन और स्वयं आदिवासी समुदाय मिलकर इस कानून को प्रभावी रूप से लागू करने का प्रयास करें, तो यह आदिवासी समाज के लिए एक नए युग की शुरुआत कर सकता है।

"पेसा कानून सिर्फ एक अधिनियम नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की पहचान और उनके हक की लड़ाई का आधार है।"

पेसा कानून (PESA Act) और पंचायती राज (Panchayati Raj) में संबंध
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